महेशवाणी
महेशवाणी
June 16, 2013
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सभा पैसी जोही एक लएलनि, कएलनी लेलिन बुढबा जमाएगे माई । ।
बसहा चढल शिव डमरु बजाबथी, अगँ मे भस्म रमाये गे माई । ।
अगँने अगँने शिव भिख मगै छथि, देहरी पर धुनिया रमाये गे माई
जटा देखी गौरी थर थर काँपथि, बिभुत देखी के डराई गे माई । ।
सौतीन देखी गौरी मनमन सोचथि, किय लय करबै सुख विलास गे माई
जटा छैक गौरी सिरके लपेटब, से विभुत छैक, अहिबात गे माई । ।

सौतीन छैक गौरी सँग के सहेली से शिव लय करैब विलास गे माई  ……

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