मैथिली गीत कजरी ( तर्ज : झुला झुले अवधबिहारी )
August 29, 2013
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वितल श्रावनके पुरे महिना कि घर नाही आयल सजनमा ना
बादल गरजे बिजुली चमके – २
रही रहिके दिल मोरा धरके
धर धर काँपे बदनमा ना – २
सखिहे थर थर काँपे बदनमा ना । । वितल ………….
श्रावन मास पिया नही आयल, सखी सब मिली कै मुह बिजकैलक
मोरा सुनी सेजरिया सखी हे, मोरा सुनी सेजरिया ना । । वितल ………….
सबके पिया परदेश सौँ आयल, मोरा पिया परदेश घेरायल
झर झर गिरे नयनमा सखी हे, झर झर गिरे नयनमा ना । ।
वितल श्रावनके पुरे महिना कि घर नाही आयल सजनमा ना । । शैलेन्द्र मल्लिक