परिछन गीत

अब सीता रहली कुमारी हो रामा धनुषा नहि टुटे, कठिन र्पन जनक जी ने ठानल लोहे के धनुषा बनाई हो रामा धनुषा नहि टुटे देशही देश, जनक जी नेयोत पठाओल, अयोध्या मे परल हकार हो रामा धनुषा नहि टुटे देशही देशके भुप सब आयल धनुषा छुवी छुवी जाय हो रामा धनुषा नहि टुटे मुनीजीके सँग […]